न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनाई ख़यालात की
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की
सितारों को शायद ख़बर ही नहीं
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की
मुक़द्दर मेरे चश्म-ए-पुर'अब का
बरसती हुई रात बरसात की
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बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनाई ख़यालात की
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की
सितारों को शायद ख़बर ही नहीं
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की
मुक़द्दर मेरे चश्म-ए-पुर'अब का
बरसती हुई रात बरसात की
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बशीर बद्र
Na jee bhar ke dekha na kuch baat ki
bari arzoo thi mulaqat ki
bari arzoo thi mulaqat ki
kai saal se kuch khabar nahi
kahan din guzra kahan raat ki
kahan din guzra kahan raat ki
ujaalon ki pariyan nahanay lagi
naddi gungunai khayalat ki
naddi gungunai khayalat ki
mein chup tha to chalti hawa ruk gai
zaba'n sab samajhte hai'n jazbat ki
zaba'n sab samajhte hai'n jazbat ki
sitaron ko shayad khabar hi nai
Musafir ne janay kaha raat ki
Musafir ne janay kaha raat ki
muqadar meri chash'm pur aa'b ka
barasti hoi raat barsaat ki
barasti hoi raat barsaat ki
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bashir badr
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